देश के मजदूर आन्दोलन में लाल के बजाय भगवा झंडे का वर्चस्व
राजनांदगांव। भारतीय मजदूर संघ का स्थापना दिवस समारोह आज स्थानीय दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर महावीर चौक के हॉल में एक विचार गोष्ठी के रूप में संपन्न हुआ। विचार गोष्ठी को भामसं के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य सुदर्शनदास मानिकपुरी, अलका बारसागढ़े, गजानंद मिश्रा व भारती शर्मा ने संबोधित किया। समारोह के मुख्य वक्ता भामसं के विभाग प्रमुख योगेशदत्त मिश्रा ने भारतीय मजदूर संघ के प्रथम क्रमांक पर होने की बात को जोर देते हुये कहा कि भले ही भारतीय मजदूर संघ देश का सबसे बड़ा श्रम संगठन बन गया हो, एशिया में भी हम सबसे बड़े संगठन है, चीन के सरकारी ट्रेड यूनियन को छोड़ दे तो हम पूरी दुनिया में भी सर्वाधिक सदस्यता वाले श्रम संगठन है, बावजूद इसके हमारा कार्य अभी भी अधूरा है। जब तक असंगठित क्षेत्र के एक-एक मजदूर को संगठित करके उनको उनका हक व अधिकार नही दिला देते तब तक हमारी लड़ाई अधूरी है, हमारा संघर्ष निरंतर जारी रहेगा।
भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री नरेश कुमार साहू ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि भारी बरसात के बावजूद तय समय में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भामसं का स्थापना दिवस मनाने एकत्रित हुये और विचार गोष्ठी व सार्वजनिक सभा भीगते हुये पानी में संपन्न हुआ। गोष्ठी के प्रारंभ में भारतमाता, भगवान विश्वकर्मा व भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दंतोपंत ठेंगड़ी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया व दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम प्रारंभ हुआ फिर भारतीय मजदूर संघ के गीत गाये गये, भामसं के जिला अध्यक्ष लाखन सिंह कुशवाहा ने अध्यक्षीय उद्बोधन रखा, सभी यूनियनों ने क्रमशः अपना-अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया फिर विचार गोष्ठी प्रारंभ हुई, जिसमें भारतीय मजदूर संघ के सिद्धांतो व विचारों की व्याख्या करते हुये वक्ताओं ने भामसं के सिद्धांतो को कालजयी बताते हुये कहा कि जिन विचारों व सिद्धांतो को लेकर भारतीय मजदूर संघ 23 जुलाई सन् 1955 को प्रारंभ हुआ वे विचार अब 70 वर्ष की उम्र प्राप्त कर चुके है और मजदूर जगत में अब लाल सलाम के बजाय भारतमाता की जय के नारे लगने प्रारंभ हो गये है। अब देश के मजदूर आंदोलन में लाल झण्डे का नहीं बल्कि भगवा झण्डे ने स्थान ग्रहण कर लिया है, जहॉ देश के संगठित क्षेत्रों में भारतीय मजदूर संघ का काम तीव्र गति से बढ़ा है वही असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के समस्याओं को भी देशभर में मुखर आवाज मिली है। यही कारण है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिये राज्य व केन्द्र की सरकारों ने अनेक योजनायें प्रारंभ की है जिनका लाभ असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को प्राप्त हो रहा है। इसके बाद भी असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की समस्यायें गंभीर है, उन्हे न तो न्यूनतम वेतन मिल रहा है न ही उन्हे भविष्य निधि का लाभ दिया जा रहा है और न ही चिकित्सा बीमा की सुविधा मिल पा रही है। अभी भी इस क्षेत्र में संघर्ष की काफी जरूरत है ताकि देश में शोषण के अंधकार को दूर किया जा सके। गोष्ठी व सभा में प्रमुख रूप से निर्मला साहू, भारती शर्मा, माया तिवारी, बबीता बाघमारे, धनेश्वरी साहू, हेमंत साहू, पुहुपदास साहू, दुकालू कौशिक, मणीराम साहू, लोकेश साहू, जयप्रकाश साहू, केशव सिन्हा, ठाकुर राम यादव, प्रताप साहू, संतराम सिन्हा, भारती बंजारे सहित बड़ी संख्या में भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता उपस्थित थे।