भिलाई में पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवमहापुराण कथा का दूसरा दिन: त्रेतायुग के देवकुल नगर के राजा वीरमणि और उनके पुत्र रुक्मांगद की कहानी, जिस युद्ध में हनुमान जी और राम भगवान भी हुए थे शामिल, CM विष्णु देव साय की धर्मपत्नी कौशल्या भी पहुंची, छत्तीसगढ़ में अगली कथा की जानकारी भी दिए
आज देवकुल नगर के राजा वीरमणि और उनके पुत्र रुक्मांगद की कहानी
- CM विष्णु देव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय कथा में हुई शामिल
- 2 से 8 अगस्त तक मुंगेली के लोरमी में होगी सावन की दूसरी कथा
- पंडित प्रदीप मिश्रा ने आयोजक दया से कहा- “पालकी यात्रा, बाबा की बारात का फल”
- “इंसान को अपने भीतर नम्रता लाना जरुरी- पंडित प्रदीप मिश्रा”
-“व्रत के दिन मुहं से न निकले अपशब्द, पिता, पति और परमात्मा के बर्तन खुद धोना चाहिए” - राजा वीरमणि के सामने शंकर जी के नंदी हुए प्रकट, बताया मार्ग
- “सावन की शिवरात्रि में पार्थिव लिंग बनाकर जल चढ़ाने से शिव होंगे प्राप्त”
- शिवरात्रि के पहले पहर में शिवलिंग बना कर जल चढ़ाने से प्रकट हुए शिव
- राम भगवान ने अश्वमेध यज्ञ किया, अश्व छोड़ा गया, देवकुल नगर में रुक्मांगद ने बनाया बंधी
- हनुमान जी ने भगवान राम को किया याद, शिव जी हुए प्रकट
भिलाई। भिलाई के जयंती स्टेडियम में पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवमहापुराण के दूसरे दिन भी इंद्रदेव की कृपा से बादल बरसते रहे। बरसात में शिवभक्तों की परीक्षा हुई, जिसमें हजारों-लाखों की संख्या में शिव भक्त परीक्षा पास करते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा के श्रीमुख से कथा सुनने पहुंचे। दूसरे दिन भी दूर-दूर से भक्त शिवमहापुराण श्रवण करने पहुंचे। भक्तों में गजब का उत्साह देखने को मिला। अंतराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने दूसरे दिन 26, जुलाई शुक्रवार को त्रेता युग में देवकुल नगर के राजा वीरमणि और उनके पुत्र रुक्मांगद की शिवभक्ति और भगवान राम से युद्ध की कथा सुनाई। उन्होंने कथा के अंत में अगली कथा की जानकारी देते हुए बताया कि, 2 अगस्त से 8 अगस्त तक मुंगेली जिले के लोरमो में गायत्री मंदिर के पीछे दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक शिवमहापुराण की कथा होगी। वहीं से सावन की शिवरात्रि 2 अगस्त के दिन शाम 7 बजे से लाइव पूजा होगी।
CM विष्णु देव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय कथा में हुई शामिल
प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय आज शिवमहापुराण कथा में शामिल हुई। पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यासपीठ से कौशल्या साय के लिए कहा- प्रत्येक कथा में जैसा समय अनुकूल हो वैसे कौशल्या जी कथा में पहुंचती है और प्रेरणा देती है की कितने भी ऊचें पद में हो पर भगवान की भक्ति को कभी न भूले, उनका जोरदार स्वागत और अभिनन्दन करें। पंडित प्रदीप मिश्रा ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के लिए कहा कि, मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री होने के पहले भी राष्ट्र सेवा से वे अपना थोड़ा-थोड़ा समय जरुर भगवान की भक्ति के लिए निकालते है। एक बार मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी के लिए भी जोरदार तालियां हो जाए।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने आयोजक दया से कहा- “पालकी यात्रा, बाबा की बारात का फल”
पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यास पीठ से आयोजक बोल बम सेवा एवं कल्याण समिति के अध्यक्ष दया सिंह को कहा कि, यहां इससे पहले हमारे सिहोर में गुरु पूर्णिमा की कथा थी, वहां इतना पानी गिर रहा था की लोगों को उठ बीच में जाना पड़ रहा था। सावन में शिव जी ने भिलाई वासियों पर ऐसी कृपा की है कि, यहां तो सब व्यवस्थित बैठे है, आपने जो इतने सालों से शिव जी की पालकी यात्रा, बाबा की बारात निकाली है, शायद ये उसी का फल है। आपको बहुत-बहुत साधुवाद।
इंसान को अपने भीतर नम्रता लाना जरुरी- पंडित प्रदीप मिश्रा
पंडित प्रदीप मिश्रा ने भक्तों से कहा की शिवमहापुराण की कथा में तब जाओ जब आपका विश्वास प्रबल हो। अगर आपका विश्वास प्रबल न हो तो शिवमाहपुराण की कथा में जाने का कोई लाभ नहीं है। जैसे किसान फसल लगाने से पहले जमीन में क्यारी बना कर पानी डाल कर जमीन को नर्म कर लेता है, ताकि वो बीज डाले और वो अंकुरित हो जाए, उसी तरह शिवमहापुराण की कथा कहती है कि, अपने भीतर इतनी नम्रता ले आओ की तुम्हारे मुंख से एक बार श्री शिवाय नमस्तुभ्यं निकले और वो बीज अंकुरित हो जाए और तुमहरा कल्याण हो जाए।
“व्रत के दिन मुहं से न निकले अपशब्द, पिता, पति और परमात्मा के बर्तन खुद धोना चाहिए”
अगर आप किसी पशु-पक्षी किसी भी जीव को प्रेम से बुलाते हो तो वो आपके पास आते हैं, उसी तरह अगर आप सच्चे दिल से महादेव को पुकारों तो वो जरूर आएंगे। इसके बाद पंडित प्रदीप मिश्रा ने एक भजन का जिक्र किया “कौन कहते हैं भगवान आते नहीं”। उन्होंने आगे, जिस दिन आप व्रत रखों, ये ध्यान रखना की किसी को अपशब्द न कहो, आड़ा-टेड़ा न बोला और उन्होंने महिलाओं से कहा कि, पिता, पति और परमात्मा के बर्तन खुद धोना चाहिए न किसी काम वाली से धुलवाना चाहिए।
देवकुल नगर के राजा वीरमणि और उनके पुत्र रुक्मांगद की कहानी
कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने त्रेता युग में देवकुल नगर के राजा वीरमणि और उनके पुत्र रुक्मांगद की शिवभक्ति की कहानी सुनाई, जिसमें हनुमान जी और भगवान राम से भी पिता-पुत्र का युद्ध हो गया था और भगवन शिव को स्वयं प्रकट होना पड़ा था। उन्होंने बताया कि, त्रेता युग में देवकुल नाम का नगर था। इस नगर में वीरमणि निवास करते थे राजा थे और शंकर के उपासक थे और उनका पुत्र रुक्मांगद भी शिव जी का उपासक था। कई वर्ष निकल गए महादेव का उपासन और आराधना करते हुए पर वीरमणि को शंकर भगवान का दर्शन नहीं प्राप्त हुआ। पंडित प्रदीप मिश्रा ने महिलाओं से कहा कि, आप लोग रोज शंकर जी का पूजा करती है पर आप में से कई माताएं ऐसी होंगी जिन्हें शंकर का दर्शन नहीं हुए होंगे, पर में ये दावे से कह सकता हु की महादेव ने आपकी झोली खाली नहीं होगी, मेरे महादेव ने जरूर भर दी होगी।
वीरमणि के सामने शंकर जी के नंदी हुए प्रकट, बताया मार्ग
उन्होंने आगे बताया कि, वीरमणि एक दिन कहीं जा रहे थे उस वक्त उन्हें एक व्यक्ति दिखा जिसकी चेहरे की चमक सूर्य की तरह थी। वीरमणि ने आज तक ऐसी सुंदरता नहीं देखि थी, वे उस व्यक्ति के पास गए और अपना परिचय दिया। उन्होंने ने उसको कहा की में और मेरा बेटा रुक्मांगद सालों से शंकर की आराधना करते आ रहे है पर हमें आज तक शिव का दर्शन नहीं हुआ है। जिस व्यक्ति से वीरमणि बात कर रहे थे वो और कोई नहीं शंकर भगवान के नंदी थे। उतने में नंदी ने वीरमणि से सवाल किया की क्या आप हमें पहचानते हो? फिर वीरमणि ने जवाब दिया नहीं आप कौन हो? आपको हमने पहले कभी नहीं देखा? आप कहां से आए हो?, पंडित प्रदीप मिश्रा ने भक्तों से कहा कि, नंदी जी शिव जी तक पहुंचने का मार्ग दिखाने आ जाते है उसी तरह याद रखना शिव का मार्ग बताना वाला कोई भी हो सकता है तुम्हारा पड़ोसी भी।
“सावन की शिवरात्रि में पार्थिव लिंग बनाकर जल चढ़ाने से शिव होंगे प्राप्त”
शिवमणि ने नंदी को नहीं पहचाना, नंदी ने कहा तुमने इतने साल भगवान शंकर की आराधना की पर तुम्हे शिव नहीं मिले, तुम एक काम करो सावन महीने में जो शिवरात्रि आती है, शिवरात्रि का दिन रात्रि का समय हो प्रथम पहर चल रहा हो, प्रदोषकाल चल रहा हो, रात्रि की पहर पर पहली पूजन करो, पार्थिव शिवलिंग बनाकर एक लोटा जल चढ़ाओ तुम्हे शिव तत्व की प्राप्ति होगी। इस पर वीरमणि राजा ने कहा क्या मुझे शंकर मिलेंगे? क्या शिव मेरी सुनेंगे? इस समय राजा को नहीं मालूम था की वो किस्से ये सवाल पूछ रहा है। उनको नहीं मालूम था की ये नंदी है, शिव की आराधना करवाने, शंकर की भक्ति करवाने और शंकर का भजन करने वाला।
शिवरात्रि के पहले पहर में शिवलिंग बना कर जल चढ़ाने से प्रकट हुए शिव
वीरमणि राजा ने अपने पुत्र रुक्मांगद से कहा सावन का महीना आ रहा शिवरात्रि छूटना नहीं चाहिए, दोनों ने पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया वीरमणि और रुक्मांगद ने एक लोटा जल महादेव को चढ़ाना शुरू किया। इतने में देवाधि देव महादेव स्वयं प्रकट हो गए। पंडित प्रदीप मिश्रा ने भक्तों से कहा कि, पूरे साल पार्थिव लिंग का निर्माण नहीं किया तो कोई बात नहीं, पर साल में एक बार सावन के महीने में शिवरात्रि के पहले पहर में शिवलिंग बना कर पूजा कर लिए न तो समझो जिंदगी का सुख मिल गया। महादेव ने देवकुल के राजा वीरमणि से कहा मानगो तुम्हें क्या चाहिए, वीरमणि ने कहा भोलेनाथ जी इतनी कृपा करना, की हमारी रक्षा करना, बच्चों की परिवार की रक्षा करना और मेरा जो पूरा राज्य है उसकी रक्षा करना, जब मेरे राज्य में दुःख, तकलीफ और कष्ट आए मेरा शिव सामने हो, बस इतनी कृपा करना। पंडित प्रदीप मिश्रा ने भक्तों से कहा कि, इसी तरह आपको भी जब शिवरात्रि की पूजा करे तो आप सब को भी भगवान शिव से यही मांगना है कि हमपर, हमारे परिवार और राज्य पर तकलीफ आए शिव जी आप हमारे साथ खड़े रहना।
राम भगवान ने अश्वमेध यज्ञ किया, अश्व छोड़ा गया, देवकुल नगर में रुक्मांगद ने बनाया बंधी
शिव भगवान ने वीरमणि को वरदान दे दिया और कहा जब तेरे राज्य, तुमपर और तेरे परिवार पर कोई तकलीफ आएगी में खड़ा रहूंगा। समय आया भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया, अश्वमेध का अश्व छोड़ा गया वो घूमते-घूमते देवकुल नगर में जैसे पहुंचा राजा वीरमणि के बेटे रुक्मांगद ने उसे बंधी बना लिया, खबर शत्रुघ्न तक पहुंची। भगवान राम जी के भाई शत्रुघ्न और भरत के पुत्र पुष्कर दोनों उस घोड़े के पीछे पहुंचे तब सुचना मिली की अश्वमेध यज्ञ का अश्व बंधी बना लिया गया है। अवध के राजा शत्रुघ्न और उनके भतीजे को क्रोध आ गया, युद्ध प्रारंभ हो गया, एक तरफ देवकुल वासी और दूसरे तरफ भगवान राम के भाई और उनके भतीजे, एक समय ऐसा आ गया की शत्रुघ्न बंधी बन गए और पुष्कर का प्राण छूट गया। हनुमान जी को खबर मिली की ऐसा हो गया, फिर युद्ध पर युद्ध शुरू हो गया हनुमान जी और देवकुल वासी के बीच युद्ध शुरू हुआ। फिर हनुमान जी समझ गए इस देवकुल नगर में जरूर कुछ शक्ति है की यहां कोई मर नहीं रहा और दूसरी तरफ अवध की सेना की लगातार प्राण छूट रहे है।
हनुमान जी ने भगवान राम को किया याद, शिव जी हुए प्रकट
हनुमान जी ने भगवान राम को याद किया, भगवान राम प्रकट हुए और अवध के सेना के साथ राम भी युद्ध में शामिल हो गए। पंडित प्रदीप मिश्रा ने भक्तों से कहा कि, इसी तरह मेरे शंकर भगवान आपके एक लोटा जल को नहीं भूलते है। इधर वीरमणि को नहीं मालूम की राम जी युद्ध में शामिल हो गए। राम जी के भी तो आराध्य शिव है, भगवन राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग की पूजा के दौरान मांगी वरदान याद किया, जिसमें उन्हें ऐसा शास्त्र मिला था जिससे वो किसी का भी नरसंहार कर सकते थे। भगवान राम ने शिव जी पर फुल स्वरुप वो शस्त्र चढ़ा दिया, जिससे शिव जी प्रसन्न हो कर बोले क्या चाहिए मानगो, राम जी ने कहा शत्रुघ्न को बंधी बना लिया गया है, उन्हें मुक्त करवा दीजिये और भरत के बेटे पुष्कर की मौत हो गई है आप तो काल के देवता है समय का चक्र घुमा कर उसे जीवन सौंप दीजिये। भगवान राम ने माहदेव से कहा कि, देवकुल के राजा वीरमणि ने ऐसा क्या पुण्य किया जो आप उनकी और उनके राज्य की रक्षा स्वयं रक्षा कर रहे है? तो शिव जे ने कहा, सावन के शिवरात्रि के दिन इसने पहले पहर में मेरे पार्थिव लिंग में एक लोटा जल चढ़ाया था। इसी के साथ दूसरे दिन की कथा भजन के सार्थ समापत हुई।